RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने ‘सहजीवन व्याख्यानमाला’ में कहा कि भारत को सद्भावना का मॉडल बनाना चाहिए. उन्होंने मंदिर-मस्जिद के ताजा विवादों पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि कुछ लोग सोच रहे है कि वो हिंदुओं के नेता बन जायेगे तो इस भूल में न रहे ।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश में सद्भावना की वकालत की और मंदिर-मस्जिद को लेकर शुरू हुए नए विवादों पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने हालिया विवादों पर चलते यह कहा कि अयोध्या निर्माण के बाद कुछ लोगों को यह लगता है कि वो हिंदुओं के नेता बन जायेगे तो इस भूल में बिल्कुल भी न रहे यह वो भारत नहीं रहा है कि जिसका जो मन आए वो करले यह आज का भारत है
लेक्चर सिरीज ‘सहजीवन व्याख्यानमाला’ में ‘इंडिया – द विश्वगुरू’ टॉपिक पर बोलते हुए मोहन भागवत ने समावेशी समाज की वकालत की और कहा कि दुनिया को यह दिखाने कि देश एक साथ सद्भाव से रह सकता है. भारतीय समाज की बहुलता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि क्रिसमस रामकृष्ण मिशन में मनाया जाता है, केवल हम ही ऐसा कर सकते क्योंकि हम हिन्दू हैं जो सबको साथ लेकर चलने की बात करते है लेकिन कुछ लोग ये सोच रहे है कि अपनी मनचाही करेंगे तो ये वो भारत नहीं रहा तुम कहते रहो हम सुनते अब भारत जवाब दही बन चुका है ।
मोहन भागवत जो कि एक कट्टर हिंदू और हिन्दुओं को एक साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति है वह हमेशा हिंदुओं के हित में बात करते हैं जब भी कभी हिंदुओं के ऊपर अत्याचार या कोई भी बुरी तरह का हरकत होती है तुम मोहन भागवत हमेशा उसे पर टिप्पणी देते हैं और विरोधियों को बुरी तरह लगते भी हैं उन्हें जवाब देते हैं कि यह भारत का वह भारत नहीं रहा है जो सिर्फ सुनता है इस भारत को भी जवाब देना आता है। अब हिंदुओं पर अत्याचार हो ऐसा हो नहीं सकता यह दौर वह पुराना डर नहीं रहा है जब हिंदुओं में अत्याचार होता रहे और हम शांत रहे अब हिंदुओं पर अत्याचार होता तो जवाब दे ही जरूर दी जाएगी हिंदू को भी एक साथ रहना होगा एकजुट रहना होगा तभी हम अपनी आवाज उठा पाएंगे हमारा मकसद किसी धर्म को हानि पहुंचाना नहीं लेकिन अपने धर्म की सुरक्षा करना जरूर है।
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत यह भी कहते हैं कि मुसलमान की संख्या अधिकतम बढ़ती जा रही है और वह यह सोच रहे हैं कि वह हिंदुओं पर अपना कब्जा चलाएंगे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता तुम हमारे मंदिर तोड़ोगे और हम शांत रहेंगे ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता अब करवाई कड़ी होगी।